हमारे हिन्दू रीति-रिवाज के अनुसार पिता को पुत्र के द्वारा मुखाग्नि दी जाती है, लेकिन आज हम आपको एक वतमान की घटना बताने जा रहे है जिसमे पुत्र होते हुए भी जब पिता की मृत्यु हुई तो उनकी 4 बेटियों द्वारा पिता को कन्धा दिया गया। इसमें उनका बेटा शामिल नहीं हुआ जानिए इसकी वजह को।

यह मामल यूपी के झांसी का है, जहां भाई के रहते हुए एक पिता की चारो बेटियों ने आने पिता की अर्थी को कंधा दिया है। इसके साथ ही उन्होंने पिता को मुखाग्नि भी दि, समाज के लोग यह भी कहने लगे की हिन्दू रीति-रिवाज का अपमान किया है। उन्होंने अपने धर्म के खिलाफ ऐसा किआ है, लेकिन चारों बहनों ने बड़े ही सादगी से इसका जवाब दिया, जिसके बाद लोगों ने उनकी काफी प्रशंसा भी की।
बहनो ने बताया की हमारा भाई आये दिन पिता से झगड़ा करता था, साथ ही पिता बीमार थे, उस समय उसने कभी पिता की देखभाल करने के बारे में या उनके हालचाल पूछने के लिए नही आया। उनका पूरा ध्यान उन्ही के द्वारा रखा गया। हम चारों बहनों ने मिलकर पिता की देखभाल की है, और अपने पिता की स्थिति को देखकर हम चारों बहनें हमेशा दुःखी रहा करते थे। जब पिता की मृत्यु हुई तो पिता की अंतिम समय में अर्थी और मुखाग्नि देने का कोई अधिकार नहीं बनता है।
जब पिता की मृत्यु के बारे में उन्हें पता चला तो वो चारों बहने दौड़ते हुए अपने पिता के अंतिम दर्शन के लिए आई। जिसके बाद लोगो को उनके बेटे की इस करतूत के बारे में पता चला। उसके बाद लोगो ने चारों बहनों की प्रशंसा की। आज उत्तर प्रदेश में उन बहनों की प्रशंसा की जा रही है, जिन्होए अपने पिता का पूरा ध्यान रखा और अंतिम समय तक उनका साथ भी दिया। उनके पिता यूपी के डडियापूरा गल्ला मंडी रोड के रहने वाले हैं, हार्ड अटैककी वजह से उनके पिता की मौत हुई थी। और जब पिता की अर्थी को कंधा देने के बारे में फैसला किया तब इन चारों बेटियों ने कहा कि हम अपने पिता को कंधा देंगी। कई बार विपरीत परिस्थितियों में और पुत्र के ना होने पर माता-पिता को कंधा देने और मुखाग्नि देने का अधिकार बेटी का भी होता है, इस तिरह से उन्होंने भी यही किया जो आज एक मीसाल बन चूका है।