काफी सारी कहानियां ऐसी होती है जो हमे कुछ सीखा जाती है। 60 वर्षीय पॉल अलेक्जेंडर की कहानी भी कुछ ऐसी ही है। अपनी इच्छा शक्ति के कारण आज वह मशीन पर होने के बाद भी एक ऐसा काम कर पाए जिसके बारे में हम सोच नहीं सकते। उन्होंने ऐसी हालत में एक पुस्तक लिख डाली।
हिलना भी मुश्किल था लेकिन ऐसे लिखी किताब
60 वर्षीय यह शख्स एक मात्र ऐसे इंसान है जो पोलियो के कारण लकवे के शिकार हुए और आयरन लंग्स (Iron Lungs) की मदद से सांस ले रहे हैं। पॉल की इच्छा शक्ति इतनी दमदार है कि 60 साल से मशीन में बंद होने के बाद भी उन्होंने इस मशीन के अंदर लेटे-लेटे ही लॉ की पढ़ाई कर ली और एक मोटिवेशनल बुक (Motivational Book) भी लिख डाली। जबकि पॉल के लिए हिलना भी बहुत मुश्किल होता है। उन्होंने दूर रखे कीबोर्ड को प्लास्टिक की स्टिक से चलाकर यह किताब लिखी है।
6 साल की उम्र में पॉल पोलियो (Polio) के शिकार हुए और अब उनकी उम्र 75 पार कर चुकी है। पोलियो होने के कारण वे पहले ही मुश्किल जिंदगी गुजार रहे थे, उसके ऊपर कुछ समय बाद दोस्तों के साथ खेलते समय लगी चोट ने उनकी जिंदगी और भी मुश्किल हो गयी। वे ना तो चल पाते थे और ना ही खा-पी पाते थे। फिर पता चला कि पोलियो के कारण उनके फेंफड़ों में समस्या हो रही है और वे इस कारण सांस नहीं ले पा रहे थे।
हमेशा मशीन में रखने का फैसला लिया
इसके बाद भी पॉल ने हर परेशानी का सामना करते हुए डॉक्टर्स द्वारा कहे जाने पर आयरन लंग्स का उपयोग किया। उस समय आयरन लंग्स की मदद से लकवा के शिकार रोगियों को साँस लेनी पड़ती थी जब तक वो वयस्क न हो लेकिन साल बीते और 20 साल गुजर जाने के बाद भी पॉल की हालत में सुधार नहीं आया। इसके चलते डॉक्टर्स को उन्हें हमेशा इसी मशीन में रखने का फैसला किया।
मशीन में बंद रह कर पढाई की
इन सब के बावजूद पॉल के हौसले की ताकत की मदद से उन्होंने मशीन में बंद रहकर ही पढ़ाई पूरी की। लॉ करने के बाद उन्होंने अपग्रेडेड व्हीलचेयर की मदद से कुछ समय तक वकालत की प्रैक्टिस भी की। बाद में उन्होंने अपनी बायोग्राफी लिखी। यह किताब लिखना भी उनके लिए आसान नहीं था। उन्हें प्लास्टिक स्टिक की मदद से कीबोर्ड चलाना पड़ता था। इसलिए किताब पूरी करने में 8 साल लग गए। एक रिपोर्ट के अनुसार फिलहाल पॉल दुनिया में एकमात्र व्यक्ति हैं जो आयरन लंग्स का इस्तेमाल करके सांस ले रहे हैं।