इंदौर में एक बच्चे के घूमने का मामला सामने आया। बच्चे को पुलिस के पास पहुंचाने के बाद बच्चा पहले तो डरा हुआ नज़र आ रहा था। उसके बाद पुलिस वालो से ऐसी दोस्ती हुई कि बच्चा घर जाने को तैयार नहीं था। उसकी ऐसी अजीब सी जिद सुनकर आपको भी हंसी आ जायेगी।
यह घटना शनिवार सुबहे विजयनगर एरिया की है जब एक राह चलते व्यक्ति को सड़क पर एक बच्चा रोते हुए मिला। उसने पुलिस की एफआरवी को सूचना दी। इसके बाद पुलिस ने बच्चे से उसके घर का पता पूछा, लेकिन बच्चा इतना ज्यादा घबराया हुआ था कि कुछ बता नहीं पाया। पुलिस बच्चे का घर ढूंढने के लिए 5 से ज्यादा थाना क्षेत्रों में उसे लेकर घूमती रही।
जब बच्चे का घर नहीं मिला तो पुलिस थक हार कर बच्चे को पुलिस स्टेशन ले आई। यहा आकर बच्चे को जब पोहे – जलेबी का नाश्ता करवाया गया तो बच्चे की पुलिस से ऐसी दोस्ती हुई कि उसने अपना पता पुलिस को बता दिया पर अब एक नई समस्या खड़ी हुई। यह बच्चा पुलिस को छोड़कर अपने घर नहीं जाना चाहता था। किसी तरह पुलिस ने समझा बुझा कर बच्चे को घर भेज ही दिया।
SP आशुतोष बागरी ने बताया, ‘विजय नगर पुलिस को सुबह 6 बजे राहगीर ने सूचना दी कि एक बच्चा सड़क किनारे रो रहा है। सूचना मिलते ही विजय नगर थाने की PCR मौके पर पहुंची। बच्चे को विजयनगर थाने लाया गया। जवानों ने उसे नाश्ता कराकर उससे दोस्ती की। फिर उससे जानकारी निकालना शुरू की। PCR जवान कस्तूर मीणा व पायलट राजा ने बताया कि जिस वक्त बच्चे को गाड़ी में बैठाया, तब वह घबराया और डरा हुआ था।
पुलिस के जवान ने जब बच्चे से दोस्ती की तब बच्चे ने अपना नाम आर्य डाबोरे बताया। धीरे-धीरे वह सभी पुलिस वालो के साथ घुल मिल गया। बच्चे के पिता के बारे में जानकारी निकलने पर पता चला कि पिता का नाम गोलू डाबोरे है और वह एक प्राइवेट कंपनी में जॉब करते है। वे सुबह जल्दी नौकरी के लिए घर से निकले थे। जैसे ही वे घर से निकले, तभी बच्चा दरवाजा खुला देख पिता के पीछे लग गया। पिता को इसकी जानकारी नहीं थी। कुछ आगे जाकर वह रास्ता भटक गया और सड़क किनारे जाकर रोने लगा। बच्चे की मां नहीं है। वह अपनी बुआ दीपा और पिता के साथ रहता है।
इस पुरे मामले के बाद SP ने बताया कि शहर में ‘जागरूक नागरिक’ अभियान चलाया जा रहा है। इसके तहत नागरिकों से किसी भी संदिग्ध व्यक्ति या घटना की जानकारी नजदीकी पुलिस स्टेशन को देने की अपील की जा रही है। इसके साथ ही थाना प्रभारियों और बीट प्रभारियों के नंबर भी नागरिकों को दिए जा रहे हैं। इसी मुहिम का असर है कि बच्चा अपने परिवार के पास सुरक्षित पहुंच गया।