कुछ छोटी – छोटी बाते ऐसी होती है। जिन पर हम ध्यान नहीं देते। लेकिन गौर करने पर पता चलता है की इसके पीछे कुछ अलग ही वजह है। अब ऐसे ही ट्रैन की पटरियों की बात करे तो यह हजारों – लाखों टन वजन झेलती है। हर मौसम में कड़ी धूप – बारिश – ठंड में भी मजबूती से टिकी रहती हैं। यह कभी किसीने सोचा है की लोहा बहुत जल्दी जंग खाता है। लेकिन ये लोहे की पटरिया जंग क्यों नहीं खाती इसके पीछे कुछ वजह है।
लोहा जब भी नमी के संपर्क में आता है तो ऑक्सीजन के साथ प्रतिक्रिया करता है और उससे लोहे पर आयरन ऑक्साइड (Iron oxide) की परत जम जाती है जो भूरे रंग की होती है। इसे ही जंग लगना कहते हैं जो लोहे का कमजोर करती है। लेकिन रेल की पटरियों को बनाने में हॉट रोल्ड स्टील का उपयोग होता है। साथ ही इसमें मेगलेव मिलाया जाता है।
इस मैंगनीज स्टील में 12 प्रतिशत मैंगनीज और 1 प्रतिशत कॉर्बन होता है। इस कारण नमी या पानी के बाद भी ऑक्सीकरण नहीं होता है। यदि होता भी है तो कई सालों में होता है. इस कारण रेल की पटरियों में सालों तक जंग नहीं लगती है। यदि पटरियां बनाने में ऐसा विशेष मटैरियल का उपयोग न हो तो जंग खाने के कारण बार – बार पटरियों को बदलना पड़ेगा, जिसमें बहुत भारी खर्च आएगा।
इसके अलावा जंग खाई पटरियों के कारण दुर्घटनाएं होने की आशंका कई गुना बढ़ जाएगी। आमतौर पर लोगों को लगता है कि रेल पटरियों पर लगातार ट्रेनें चलते रहने के कारण उनमें जंग नहीं लग पाती है जो कि भ्रम है। असल वजह इसमें उपयोग होने वाला खास मटैरियल ही है।