हम सभी काफी समय से आर्टिकल 370 के बारे में सुनते आ रहे है। भारत में जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देनेवाले अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को ख़त्म करने के फ़ैसले के बारे में कई तरह की दलीले दी गयी है, और यह काफी समय बाद हटाया गया है। आज हम आर्टिकल 370 खत्म होने के बारे में जानकारी बतायेगे।
आर्टिकल 370 कब लगा था?
काफी समय पहले जब पाकिस्तान के द्वारा हमला किया गया, तह उस बीच राजा हरी सिंह द्वारा संधि पर हस्ताक्षर हुए थे, जिसमें एक शर्त रखी गयी थी, की अब्दुल्ला की रिहाई की जाएगी। अब्दुल्ला 1948 में जम्मू के प्रधानमंत्री बने और उन्होंने आर्टिकल 370 पर समर्थन किया और 1949 को इसे लगा दिया। जिसके बाद यहां की जनता को विशेष दर्जा दिया जाने लगा था।
साल 1952 में अब्दुल्ला और नेहरू जी के बिच एक दिल्ली समझौता हुआ था, जिसके अनुसार उन्हें एक अलग झंडा और विशेष संविधान का दर्जा दिया गया। इसके बाद से यह अभी तक चला आ रहा था।
उस समय प्रेमनाथ डोगरा नाम के स्थानीय नेता द्वारा इस विशेष दर्जे का विरोध किया गया था। जिनके द्वारा एक नैरा दिया गया था, एक देश विधान, दो प्रधान नहीं चलेगा नहीं चलेगा” इसके बाद भारतीय जनता पार्टी के सदस्य श्याम प्रसाद मुखर्जी ने इसका मुद्दा संसद में प्रमुखता से उठाया था। आर्टिकल 370 को काफी विरोध के बाद साल 2019 में भारतीय जनता पार्टी के पूर्ण बहुमत में आने के बाद 5 अगस्त को खत्म कर दिया गया।
पाकिस्तान और भारत के कई संविधान विशेषज्ञों का मानना है, यह लंबे समय से चली आ रही समस्या और गंभीर समस्या बनी हुई थी। इसके पीछे कई राजनैतिक दलों द्वारा सक्रीय भूमिका निभाई गयी थी और विरोध का सामना भी किया गया। वरिष्ठ भारतीय वकील एमएम अंसारी भी इस बात से सहमत हैं कि भारत ने कश्मीर के लोगों की इच्छाओं की परवाह नहीं की, कई ऐसे कानून को बनाया गया है, जिसमे विरोध हुआ है।