हिंदू धर्म में सभी देवी देवताओ की एक सवारी होती है, जिसमें देवी देवताओं के साथ उनकी भी पूजा अर्चना करने का महत्व पुराणों में बताया गया है। शास्त्रों में सभी देवी देवताओं को किसी न किसी पशु और पक्षी के साथ दिखाया गया है। उसी तरह लक्ष्मीजी को उल्लू की सवारी के साथ दिखाया जाता है। यानी हर देवी-देवता की अपनी-अपनी सवारी या उनका कोई प्रिय पशु या पक्षी होता है।
उल्लू को हिंदुओं में शुभ और अशुभ दोनों प्रकार से देखा जाता है। कुछ लोगो के अनुसार उल्लू सुबह होता है और कुछ लोगो के अनुसार यह अशुभ होता है, जो लोग इसे अशुभ मानते हैं वह इस पक्षी से घृणा करते हैं, लेकिन कुछ लोग लक्ष्मीजी के साथ इसकी पूजा अर्चना भी करते है।
आज हम आपको बतायेगे की उल्लू की सवारी करने वाली मां लक्ष्मी के पास इस पक्षी का वास क्यों होता है, इसके पीछे की पौराणिक मान्यता क्या होतो है। हर व्यक्ति की चाहत होती है कि उसके पास धन-संपदा और वैभव हो। जिसके लिए लोग मां लक्ष्मी और गणेश भगवान की पूजा-अर्चना करते हैं। हिंदू धर्म में आस्था रखने वाले मां लक्ष्मी की पूजा धन की देवी के रूप में करते है।
माता लक्ष्मी ने क्यों रखी उल्लू की सवारी
सभी देवी देवताओ ने अपने अंसार किसी न किसी को अपनी सवारी के रूप में रखा है, उसी तरह माता लक्ष्मी ने भी उल्लू की सवारी को अपने लिए चुना है। माता लक्ष्मी के अपने वाहन के रूप में उल्लू पक्षी को चुनने के पीछे एक रोचक कहानी है। प्रकृति और पशु-पक्षियों के निर्माण के बाद जब सभी देवी-देवता अपने वाहनों का चुनाव कर रहे थे। तब माता लक्ष्मी भी अपना वाहन चुनने के लिए धरती पर आयी जिसके लिए सभी पशु-पक्षी में उनका वाहन बनने की होड़ में लग गए।
जिससे लक्ष्मी जी ने सभी पशु-पक्षी से कहा कि मैं कार्तिक मास की अमावस्या को धरती पर विचरण करती हूं, उस समय जो भी पशु-पक्षी उन तक सबसे पहले पहुंचेगा, वह उसका चुनाव अपने वाहन के रूप में करेगी। अमावस्या की रात बहुत अँधेरी होती है, रात के अंधेरे में देखने की क्षमता के कारण उल्लू ने उन्हे सबसे पहले देख लिया और बिना कोई आवाज किए सबसे पहले लक्ष्मी जी तक पहुंच गया। उल्लू की इस खासियत के कारण लक्ष्मी ने उसे सवारी के रूप में चुन लिया।
आज भी दीपावली की रात को उल्लू का दिखना मां लक्ष्मी के आगमन का संकेत माना जाता है।