दुनिया में लड़का लड़की, महिला पुरुष सब भगवान की ही बनाई गयी रचनाये है, इसके अलावा एक सरचना और है जो भी भगवान ने ही बनाई है लेकिन ना वो लड़के की है ना वो लड़की की है वो रचना एक किन्नर की है। आपने देखा होगा अक्सर समाज में लोग किन्नर नाम से ही दूर भागते है और अधिकतर लोग उन्हें घ्रणित निगाहो से देखते है, लेकिन वह भी एक इंसान है और उन्हें भी जीने का पूरा हक है। किन्नरों को ट्रांसजेंडर कहा जाता है। आज हम आपको आज के हमारे आर्टिकल में एक किन्नर के बारे में ही बताने जा रहे है।
आपने हमेशा देखा होगा होगा की किन्नर अक्सर मांग कर अपना गुजारा करते है, लेकिन आज जिस किन्नर के बारे में हम आपको बताने जा रहे है उस किन्नर को ट्रांस जेंडर बैंकर और पीठासीन पदाधिकारी का ख़िताब मिला है। यह बिहार के पटना में रहने वाली है और इनका नाम मोनिका दास है। साल 2015 में इन्हे यह ख़िताब मिला है। आपको बता दे की यह देश की ऐसी पहली ट्रांस जेंडर महिला है जिन्होने इतिहास रचा है।
उन्होंने अपनी पढ़ाई नवोदय विश्विद्यालय बिहार से पूरी की है और उसके बाद आगे की पढ़ाई उन्होंने पटना से की है। आपकी जानकारी के लिए बता दे की मोनिका ने पटना से अपनी एलएलबी की डिग्री भी हासिल की है, जिसमे उन्हें गोल्ड मैडल भी हासिल किया है। मोनिका दिखने में बहुत सूंदर है इसलिए उन्हें Beauty Pageant for Transgenders का ख़िताब भी मिल चूका है।
मोनिका से सबको प्रेरणा लेना चाहिए, वह एक किन्नर होने के बाद भी अपना जीवन खुल कर जीती है। मोनिका का नाम पहले गोपाल था, लेकिन जब उन्हें लगने लगा की उनमे कुछ गुण महिला वाले है तो उन्होंने अपना नाम मोनिका रख लिया। इसके चलते उन्हें लड़कियों मे रहना ज्यादा पसंद था, जिससे उनके घर वाले उनसे दूर हो गए। जब उनके घर में पता चला की गोपाल में लड़कियों वाले गुण भी है तो उनके घर में भेदभाव होने लगा।
इनकी इस मुश्किल घड़ी में इनके पिता ने इनका पूरा समर्थन किया। मोनिका ने कहा की मेरे पिता ही है जिन्होंने कहा था की मेरे सारे बच्चो को समान शिक्षा का हक मिलेगा। मोनिका का कहना है की में इस उचाई पर इसलिए आना चाहती थी की लोग ट्रांस जेंडर के प्रति अपनी धारणा बदल सके।