
प्राचीन काल से भारत में युद्ध के लिए कई तरह के हथियारों का उपयोग किआ जाता रहा है। इन हथियारों से लोगो की जान ली जाती थी, इनके बनाने के उद्देश्य और इनके उपयोग के बारे में जानकार आप भी हैरान हो जायेगे। जानिये क्या है इन हथियारों को खास बात।
चक्रम
ये एक धारधार हथियार है, यह लड़ाई में ताकत के साथदुश्मन पर फेंका जाता था। अग़र इसे चलाने वाला माहिर हैं, तो ये हथियार दुश्मनों के लिए किसी क़हर से कम नहीं होता था। इससे दूसर खड़े इंसान की मृत्यु हो जाती थी। चक्रम का इस्तेमाल करने वाले सैनिक हमेशा दो चक्र अपने पास रखते थे।
हलादी
इस हथियार में तीन ब्लेड होती थी, यह हलादी राजपूतों द्वारा युद्ध में इस्तेमाल किया जाने वाला हथियार है। यह एक स्टेटस सिंबल के तौर पर इस्तेमाल होता था, लेकिन कुशल लड़ाके इसका इस्तेमाल आज भी एक घातक हथियार के रूप में करते हैं।
परशु या फरसा
ये हथियार एक तरह की भारतीय कुल्हाड़ी थी, जिसका निर्माण भारत में कई समय पहले किआ गया था। ये लोहे से बनी होती थी और सिंगल या डबल ब्लेड वाली हो सकती थी। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, ये भगवान शिव का हथियार भी था। इसे कई युद्ध में इस्तेमाल किया जाता था।
गदा
गदा का जिक्र हमने रामायण और महाभारत में भी सुना है। यह प्राचीन काल में ये एक बेहद लोकप्रिय हथियार था, ये काफ़ी भारी होता था, और इसका इस्तेमाल करने वाला भी ताकतवर होता था। ऐसे भारी रक्षा कवच के लिए भी उपयोग किआ जाता था। यह किसी धारधार हथियार से भेदा नहीं जा सकता था। भगवान हनुमानजी को इसी हथियार के साथ दिखाया जाता है।
बाघ नख
बाघ नख का मतलब बाघ के नाखूनों जैसा बना हथियार है। इसका इस्तेमाल राजपूत करते थे। इसके द्वारा शिवाजी महाराज ने अफ़जल ख़ान को मारा था। इसे निहंग सिख अपनी पगड़ी के अंदर रखते हैं।
उरूमी
इसके निशान मौर्य साम्राज्य में मिलते हैं, हथियार एक ब्लेड की तरह है जो तेज़ और लचीले होते थे। कुशल लोग ही इस इसका इस्तेमाल करते थे, क्योंकि इसको चलाने में ज़रा सी भी ग़लती की तो आप ख़ुद को ही चोट पहुंचा सकता है।
दंडपट्ट
दड़पट्ट एक बार में दुश्मन को मारने की ताकत रखता है। इसमें एक बार में कई सैनिकों के सिर धड़ से अलग करने की काबीलियत है। इसके दो ब्लेड अग़र आपस में जोड़ लें तो ये और भी ख़तरनाक हथियार बन जाता है। इसका उपयोग मुगल काल में ज्यादा किआ गया।
खुकरी
यह तेज़धार वाला मुड़ा हुआ ब्लेड होता है, जिसका उपयोग विश्व में गोरखाओं के हथियार के रूप में जाना जाता है। गोरखा सैकिन की यूनीफार्म में आप को खुकरी मिल जाएगा, ऐसे आज भू उनके द्वारा उपयोग किया जाता है।
कटार
दक्षिण भारत में बना ये हथियार मुगलों और राजपूतों के द्वारा उपयोग किया जाता था। यह छोटा परंतु बहुत ही तेज़ हथियार होता था, इसमे तीन तेज़धार ब्लेड होते थे, जो आपस में मिलकर बहुत ख़तरनाक हो जाते थे।
कृपाण
कृपाण पंजाब का हथियार माना जाता है आज भी सिक्ख समुदाय इसका उपयोग करते है। पंजाब पर मुगलों के कब्ज़े के दौरान इस हथियार का उपयोग किया गया था। यह उस वक़्त सिख धर्म, हिंदू और मुस्लिम धार्मिक शिक्षाओं को काउंटर करने के लिए बना। अंतिम गुरू गोविदं सिंह ने सिखों को अपना बचाव करने के लिए कृपाण रखना अनिवार्य कर दिया था।