टाटा ग्रुप के लिए आज ख़ुशी की खबर है, की उसे अज एयर इंडिया मिल गयी है। आपको बता दे की 1953 में राष्ट्रीयकरण के बाद यह कंपनी ग्रुप के हाथों से निकलकर सरकार के पास चली गई थी। इसे सरकार द्वारा अधिग्रहित कर लिया गया था।
इसे वापस लेने के लिए दो लोगो के बिच जंग चल रही थी, जिसमे टाटा ग्रुप और स्पाइसजेट के प्रमोटर अजय सिंह थे। लेकिन बाजी रतन टाटा के ग्रुप के हाथ लगी। इसमें सबसे पुराने कारोबारी समूहों में से एक ने इस कंपनी के लिए जो बोली लगाई थी, उसे मान लिया गया है।

आपको बता दे की इसके लिए न्यूनतम कीमत तय की थी, टाटा ग्रुप ने उससे 3,000 करोड़ रुपये अधिक की बोली लगाई। स्पाइसजेट के अजय सिंह के मुकाबले रतन टाटा के ग्रुप ने 5,000 करोड़ रुपये ज्यादा सरकार को देने की पेशकश की उसके बाद इसे इन्हें दे दिया गया।
रतन टाटा के पास पहले से ही इस क्षेत्र में पार्टनर्स के साथ विस्तारा और एयरएशिया इंडिया जैसी कंपनियां हैं। अब एयर इंडिया का नाम भी इसमे जुड़ जाएगा। इससे ग्रुप का एविएशन सेक्टर में दबदबा बढ़ेगा। यह रतन टाटा के लिए एक इमोशनल लम्हा भी होगा, जो खुद एक ट्रेंड पायलट हैं।
इनका उद्देश्य अब लोगो को सस्ती सेवाए प्रदान करना होगा। विमान सेवा देने वाली एयरएशिया इंडिया को एयर इंडिया के तहत लाने का है, जिससे लोगो को ज्यादा सस्ती विमान सेवाए मिल सके।
आपको बता दे की विस्तारा भी इसका हिस्सा बन सकती है, जिसे ग्रुप ने सिंगापुर एयरलाइंस के साथ शुरू किया था। विस्तारा के 49 फीसदी शेयर सिंगापुर एयरलाइंस के पास हैं। जो मलेशिया का एयरएशिया बीएचडी ग्रुप 16 फीसदी का हिस्सेदार है।
रिपोर्ट के अनुसार आज यदि 100 लोग देश के अंदर उड़ान भरते हैं तो उसमें से 26 एयर इंडिया, एयरएशिया इंडिया और विस्तारा की सेवा लेते हैं। जिसमे हर 100 में से 57 यात्री उसके विमानों से उड़ान भरते हैं। टाटा ग्रुप ने एयर इंडिया की खातिर बोली लगाने के लिए एक अलग इकाई बनाई थी। इसका नाम टैलेस लिमिटेड है। अब इसका पूरा ध्यान लोगो को बेहतर हवाई सेवाए प्रदान करना होगा।