चुनाव दल बदलने की परम्परा को हम सभी देखते आ रहे है I जब भी कोई चुनाव नजदीक होता है, दल बदलकर दूसरी पार्टी में जाना एक आम बात सा हो गया है, लेकिन जब कोई बड़ा नेता अपना दल बदलता है, तब उससे चुनावी उथल पुथल बढ़ जाती है I
आपको बता दे की हाल ही में यूपी विधानसभा चुनाव से पहले समाजवादी पार्टी को छोड़कर बीजेपी में अपर्णा यादव शामिल हुई है I इसके बाद चुनाव लड़ने को लेकर कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। इसी विषय पर जब पत्रकार ने सपा प्रमुख अखिलेश यादव से पूछा कि, क्या अपर्णा यादव आपसे टिकट मांगने आई थीं, तब उन्होंने जवाब दिया था, की…
आपको बता दे की एक चैनल के साथ हो रहे इंटरव्यू के दौरान पत्रकार सौरभ द्विवेदी ने अखिलेश यादव से सवाल किया – की, आप तो करहल से चुनाव लड़ रहे हैं लेकिन डिंपल यादव कहां से चुनाव लड़ेगी? इस पर अखिलेश ने जवाब दिया कि हम कोशिश करेंगे कि परिवार के ज्यादा लोग चुनाव न लड़ें। इस पर पत्रकार ने अपर्णा यादव को लेकर भी सवाल किया है, की “क्या अपर्णा यादव लखनऊ कैंट सीट से चुनाव लड़ने के लिए आपसे टिकट मांगने आईं थी?
तब एस सवाल का उन्होंने जवाब दिया की, मैंने मुलायम सिंह यादव और पार्टी के साथ तय किया था कि परिवार के बहुत कम लोग इस बार चुनाव लड़ेंगे। उन्होंने आगे कहा कि अगर परिवार के कम लोगों को चुनाव में उतारना था तो यह बात स्वाभाविक है कि उनको टिकट नहीं मिलना था। क्युकी सभी लोगो को टिकट देना संभव नही होता है I इस पर उनसे परिवार में हुई तनातनी की वजह से पिछले चुनाव पर असर पड़ा था? आपके परिवार के कई लोग बीजेपी में शामिल हो गए हैं।
तब बताया की “हमें खुशी है कि भारतीय जनता पार्टी हमारे परिवारवाद को खत्म कर रही है। हमारे परिवार के सदस्यों को वह अपनी पार्टी में शामिल कर रहे हैं, ऐसे में उनसे परिवारवाद को लेकर सवाल पूछा जाना चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा की जो लोग एक समय समाजवादी पार्टी पर परिवारवाद का आरोप लगाते थे, आज वही लोग परिवारवाद को बढ़ाने का काम कर रहे हैं।
उन्होंने तंज कसते हुए कहा, की क्या अब बीजेपी के पास नेता नहीं बचे हैं। उनके लिए यह चिंता का विषय है कि अगर उन्हें कोई नेता चाहिए तो वह समाजवादी पार्टी की ओर देख रहे हैं। वही अपर्णा यादव इन दिनों यूपी में दोबारा बीजेपी की सरकार बनाने के लिए मेहनत कर रही हैं। अब देखना है की उनकी जित होती है, या नही।