प्लास्टिक का उपयोग आज के समय में सबसे ज्यादा किया जा रहा है, इसके इस्तेमाल से पर्यावरण को भी खतरा है। हम उपयोग किये गए प्लास्टिक को ऐसे ही फेक देते है, लेकिन आज हम आपको एक ऐसे इंसान के बारे में बताने जा रहे है, जिन्होंने प्लास्टिक से सड़क बनाने में सफलता प्राप्त की है। आइये जानते है, इसके बारे में।
कौन है प्लास्टिक मैन ऑफ़ इंडिया
प्लास्टिक से सड़क बनाने का कार्य मदुरै के टीसीई इंजीनियरिंग कॉलेज का एक प्रोफ़ेसर के द्वारा किया गया है। यह इस कार्य के लिए वर्षों से प्रयास कर रहे थे। और आज प्लॉस्टिक के कचरे से सड़कें बनवा रहा है। इन्हे “प्लास्टिक मैन ऑफ़ इंडिया” के नाम से भी जाना जाता है। मशहूर यह शख़्स अपने इस काम के लिए भारत सरकार द्वारा पद्मश्री जैसे बड़े सम्मान से सम्मानित किया जा चुका है।
प्लास्टिक से सड़क बनाने वाले इन प्रॉफे़ेसर का नाम राजगोपालन वासुदेवन है, यह मदुरै के टीसीई इंजीनियरिंग कॉलेज में केमिस्ट्री पढ़ाते है। अपने इस काम के लिए वासुदेवन को पहचान पाने में एक लंबा समय लगा उन्होंने इसके लिए काफी प्रयास किया। 10 साल की कड़ी मेहनत के बाद उनकी इस तकनीक को सरकार द्वारा मान्यता मिली, जब वह अपने इस प्रोजेक्ट को तत्कालीन मुख्यमंत्री जयललिता के पास लेकर गए। प्लास्टिक से सड़क बनाने के कार्य को सभी द्वारा काफी पसंद किया गया।
इस तकनीक का उपयोग दुनिया करती है
जब अन्य देशो में इसके बारे में पता चला तो, इस आइडिया को वासुदेवन से खरीदने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने इस तकनीक को किसी को नहीं दिया। यह आज भारत में नि:शुल्क अपनी यह तकनीक को दिया है। आज इस तकनीक की मदद से देश में हज़ारों किलोमीटर तक सड़क बनाई जा चुकी हैं। इसके माध्यम से पंचायतों, नगर पालिकाओं, यहां तक कि एनएचआई द्वारा भी प्रयोग में लाई जा रही है। इसमें प्लास्टिक का उपयोग करके रोड बनाये जा रहे है।
इन देशो में बनाये जा रहे इनकी तकनीक से रोड
इस तकनीक का उपयोग आज भारत में ही नहीं, विभिन्न देशों द्वारा लागू की जा रही है। इसमें इंडोनेशिया में बाली, सर्बिया, बेकासी, मकसार, और सहित अन्य कई जगहों में प्लास्टिक-डामर मिश्रण का उपयोग करके गाड़ी चलाने के लिए रोड बनाये जा रहे है। इसके साथ ही नीदरलैंड के उत्तरपूर्वी भाग में साइकिल चालकों के लिए डच कंपनी वर्कर सेल द्वारा प्लास्टिक की सड़कों का निर्माण किया गया था।
इस तरह के रोड का निर्माण पर्यावरण को बचाने में काफी मदद करता है, और इसके द्वारा खराब प्लास्टिक का उपयोग भी किया जा सकता है।