“पुनर्जन्म” के बाद फिर से शादी रचाना चाहता है 66 वर्षीय शख्स, बीवी होगी पहले जन्म वाली

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पुनर्जन्म का मतलब किसी व्यक्ति का दोबारा जन्म होना। जब हम पुनर्जन्म की बात करते हैं तो दिमाग में यही आता है कि कोई इंसान मरने के बाद फिर से जिंदा कैसे हो सकता है? पुनर्जन्म की इन बातों पर लोग कम ही विश्वास करते हैं। लेकिन आज हम आपको एक ऐसे व्यक्ति से मिलाने जा रहे हैं जो पुनर्जन्म को लेकर काफी समय से चर्चा में है। इसके पास अपने पुनर्जन्म को लेकर ठोस सबूत भी है। दिलचस्प बात ये है कि पुनर्जन्म के कुछ सालों बाद शख्स अपनी पहले जन्म वाली पत्नी से ही दोबारा शादी रचाने जा रहा है। चलिए इस अनोखे मामले को विस्तार से जानते हैं।

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आजमगढ़ जिले के अमिलो गांव के रहने वाले ‘मृतक’ लाल बिहारी वह व्यक्ति हैं जो असल में तो जिंदा है पर इन्होंने कुछ वजह से अपने नाम के आगे मृतक जोड़ लिया है। इसका कारण है कि उनके रिश्तेदारों ने उन्हें मृत घोषित कर उनकी जमीन हथिया ली थी। इसके बाद लाल बिहारी 18 सालों तक खुद को कागज पर जिंदा साबित करने की लड़ाई लड़ते रहे। उन्हें 30 जून 1994 को फिर से कागज पर जीवित घोषित किया गया था। तब वे इस चीज को लेकर बहुत सुर्खियों में हुआ करते थे।

पिछले जन्म की पत्नी से करना चाहते है शादी

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दूसरी बार फिर से उनके चर्चा में आने का विषय यह रहा कि अब वह अपनी 56 वर्षीय पत्नी कर्मी देवी से दोबारा शादी करना चाहते हैं।
66 वर्षीय लाल बिहारी के तीन बच्चे हैं। दो बेटियां और एक बेटा, इन सभी की शादी हो चुकी है। लाल बिहारी कहते हैं कि 27 साल पहले सरकारी रिकॉर्ड में मेरा पुनर्जन्म हुआ था। अब मैं 2020 में दोबारा अपनी बीवी से शादी करूंगा। सरकारी रिकॉर्ड में अपने पुनर्जन्म के हिसाब से मैं अब शादी की उम्र का हुआ हूं। इस पुनर्विवाह के जरिए मैं लोगों का ध्यान ‘जीवित मृतकों’ की स्थिति की और आकर्षित करना चाहता हूं।

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लाल बिहारी कहते हैं कि असल में सरकारी व्यवस्था में अभी भी कुछ खास बदलाव नहीं आते हैं आज भी कई ऐसे लोग हैं जिन्हें मृत घोषित कर उनकी जमीन को उनके रिश्तेदार और सरकारी अधिकारी मिलकर हड़प लेते हैं। उनका कहना है कि मैं आपका केस लड़कर जीत तो गया, लेकिन पिछले कई सालों से में इस तरह के पीड़ित लोगों की सहायता कर रहा हूं। मेरा यह अभियान अभी भी जारी ही है।

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आजमगढ़ जिले के अमिलो गांव के रहने वाले लाल बिहारी को आधिकारिक तौर पर 1975 में मृत घोषित कर दिया गया था। ऐसे में खुद को जिंदा साबित करने के लिए वे कई सालों तक कानूनी लड़ाई लड़ते रहे। यहां तक कि उन्होंने अपने नाम के आगे ‘मृतक’ शब्द भी जोड़ लिया था। इतना ही नहीं उनके जैसे और भी कई लोग थे जिन्हें उन्हों आपस में जोड़ एक मृतक समुह बनाया था। उनकी इस कहानी पर फिल्म निर्माता सतीश कौशिक ने ‘कागज’ नाम की फिल्म भी बनाई थी। इसमें पंकज त्रिपाठी लीड रोल में थे।

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